अल्लाह ताला भी तुम से मुहब्बत करता है
.हज़रत अबु हुरैरह रजि○ से रिवायत है के रसुलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लाम ने इरशाद फ़रमाया : एक आदमी अपने (मुसलमान ) भाई से मुलाकात के लीए दुसरे गावँ के तरफ़ गया।
अल्लाह सुभानहु वा'ताला ने रासते में एक फ़रिश्ता को (इन्शानी सकल व सुरात में ) खड़ा कर दिया, ज़ब ए आदमी वहां पहुचां तो उस फ़रिशते ने पुछा : कहां जा रहे हो ? वो केहने लगा इस बसती मे मेरा एक भाई है ,मैं उस से मुलाकत के लिए जा रहा हु।
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फ़रिशते ने पुछा : क्या उस आदमी का तुम्हारे उपर कोइ एहशान है? ज़िसका बदला चुकाने के लिए तुम उस के पास जा रहे हो? केहने लगा : नही, उस का मेरे उपर कोई एहशान नही हो मैं तो उस से अल्लाह के लिए मुहब्बत करता हु।
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फ़रिशता केहने लगा; मुझे अल्लाह की तरफ़ से ए बताने के लिए भेज़ा गया है के अल्लाह ताला भी तुम से मुहब्बत करता है ज़िस तरह तुम अल्लाह के लिए अपने भाई से मुहब्बत करते हो।
(सही मुस्लिम/भोल 6/ हदीस 6549)
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